कल क्या होगा, मैं कभी सोचता नहीं।
जो खो गया, उसे मैं कभी खोजता नहीं।।
सत्य वर्तमान है, जो प्रतिपल विद्यमान है।
प्रेम ही पूजा है, कर्म ही सब से प्रधान है।।
मंजिल वहीं है, जहाँ पर तुम्हारा ध्यान है।
जहाँ ध्यान है, वही पर तुम्हारा भगवान है।।
छाये में देखो तो छाया, धूप में, तो धूप है।
साईं का न कोई रंग है, न ही कोई रूप है।।
यह तो तुम पर ही निर्भर करता है हे मानुष,
वह तो तुम्हारी भावनाओं के ही अनुरूप है।।
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