कुँए में उतरने के बाद बाल्टी झुकती है,
लेकिन झुकने के बाद भर कर ही बाहर निकलती है।
जीवन भी कुछ ऐसा ही है,
जो झुकता है वो अवश्य कुछ न कुछ लेकर ही उठता है
यहीं जिन्दगी जीने का सार हैं
लेकिन झुकने के बाद भर कर ही बाहर निकलती है।
जीवन भी कुछ ऐसा ही है,
जो झुकता है वो अवश्य कुछ न कुछ लेकर ही उठता है
यहीं जिन्दगी जीने का सार हैं
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